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परिचय
जी हाँ हम एनहाईड्रस अमोनिया गैस की बात कर रहे हैं, यदि आप कभी किसी विद्यालय की रसायन प्रयोगशाला से गुजरे होंगे तो आपने इसकी दुर्गन्ध अवश्य अनुभव की होगी। यह प्र्राकृतिक तौर पर शुद्ध रूप में पृथ्वी पर नही पायी जाती है, अतः हम इसका उत्पादन करते हैं। इसलिये यह ऊर्जा का एक स्रोत न हो करके ऊर्जा का वाहक है। जो भी हो हम यहाँ पर इसका अन्तर्दहन इंजन के ईंधन के रूप मे विचार करेंगे।
आइये कुछ ईंधनो के गुणो की तुलना करते हैं
Property | AAG | Hydro-gen | LPG / Propane | CNG / Methane | Petrol | Diesel |
---|---|---|---|---|---|---|
Energy Density LHV (MJ/liter) | 14.1 | 8.6 (liquid) | 26.8 (liquid) | 25.3 @ 2400 psi |
34.8 | 38.6 |
Weight per Liter | 682 gm | 71 gm | 507.7 gm | 460 gm | 784 gm | 850 gm |
EnergyDensity MJ /Kg | 20.67 | 121 | 46 | 55 | 44.4 | 45.4 |
OctaneNumber | 130+ | 130+ | 104 | 105 - 122 | 87 - 93 | 15-25 |
Auto ignition Temp(°C) | 651 | 571 | 480 | 500 | 246 | 210 |
Flash Point (°C) | 11 | -253 | -- | -188 | <-40 | >62 |
Boiling Point (°C) | -33 | -253 | -- | -162 | 126 | 287 |
Critical Temp- erature (°C) | 132 | -240 | 96.6 | -83 | -- | -- |
Critical pressure (°C) | 112 | 12.98 | 42.5 bar | 45.96 bar | -- | -- |
Achieved ICE efficiency | ~50% | 25-35% | 20-25% | 20-25% | 18-20% | 20-25% |
Minimum Ignition Energy (MJ) | 680 | 0.011 - 0.017 | n/a | 0.28 - 0.3 | 0.8 | n/a |
CO2 emission/Kg Consumption | 0.00 | 0.00 | 3.00 Kg | 2.75 Kg | 3.087 Kg | 3.155 KG |
NOX SOX & Other pollution |
NO | NO | YES | YES | YES | YES |
उपर्युक्त सारणीं से यह साफ़ है कि केवल दो ईंधन ऐसे हैं, जिनसे बिल्कुल भी प्रदूषण नही होता है, तथा जो नवीकरणीय भी हैं। एक हाईड्रोजन तथा दूसरा “आग” (एनहाइड्रस अमोनिया गैस)।
विभिन्न ईंधनों का उच्च ऊष्मीय मान तथा हाईड्रोजन घनत्व

DME = डाई मिथाईल ईथर तथाEME = इथाईल मिथाईल ईथर
हाइड्रोजन इकोनोमी का ईंधन “आग”
क्यों?
- अब तक के अनुसंधानो से साबित हुआ है कि सीधे हाइड्रोजन के स्थान पर “आग” को आटोमोबाईल तथा आन्तरिक दहन इंजन ईंधन के रूप मे इस्तेमाल करने के अनेक फ़ायदे हैं। अमोनिया के अणु मे तीन हाइड्रोजन तथा एक नाइट्रोजन के परमाणु होते हैं, तथा इसमे बिल्कुल भी कार्बन नही होता। इसका औद्योगिक उत्पादन बडे पैमाने पर आसानी से किया जा सकता है, तथा इसका ईंधन के रूप मे इस्तेमाल आसान है। इससे आसानी से हाइड्रोजन को अलग किया जा सकता है, जिसका उपयोग फ़्युल सेल मे किया जाता है तथा इसको सीधे अन्तर्दहन इंजनो मे भी मामूली परिवर्तन के साथ प्रयोग किया जा सकता है। अतः यह एक बेहतर हाइड्रोजन वाहक तथा उच्च ऊर्जा किफ़ायत वाला प्रदूषण मुक्त ग्रीन नवीकरणीय ईंधन है।
हाइड्रोजन वाहक महत्वपूर्ण हैं क्योकि:
- हाइड्रोजन का भन्डारण तथा परिवहन बहुत दुश्कर तथा मंहगा है, भार के हिसाब से तो हाइड्रोजन का ऊर्जा घनत्व अन्य ईंधनो की अपेक्षा बहुत अधिक है, परन्तु आयतन के हिसाब से उतना ही कम है।
- एक किलोग्राम हाइड्रोजन मे लगभग चार लीटर पेट्रोल के बराबर ऊर्जा होती है, लेकिन यह सामान्य ताप व दाब लगभग ग्यारह घन मीटर स्थान घेरता है। पेट्रोल के बराबर ऊर्जा घनत्व पाने के लिये हाइड्रोजन को लगभग 3000 वायुमंडल दाब पर रखना पडेगा। तथा यदि हम इसे 300 वायुमंडल (जो कि संभाव्य व प्राप्य है) पर रखते हैं तो भी हाइड्रोजन टैंक पेट्रोल टैंक से दस गुना बडा होगा।
- इसके अतिरिक्त इतनी दाब क्षमता वाले सिलेंडर बहुत भारी तथा मंहगे होते हैं, सामान्यतः कार्बन फ़ाईबर के आधुनिक हाइड्रोजन सिलेंडर जितना हाइड्रोजन भन्डार करते हैं उससे 15-20 गुना अधिक भारी स्वयं होते हैं।
- इससे भी बुरी स्थिति यह है कि हाइड्रोजन का परमाणुवीय आकार बहुत छोटा होता है, इसकी वजह से यह सिलेंडर की दीवार मे धीरे- धीरे घुस जाता है तथा इसे पार कर जाता है, इस प्रकार यह सिलेंडर की संरचना को कमजोर कर देता है। यह घटना हाइड्रोजन इमब्रिटिलमेंट कहते हैं। यह बात साफ़ है कि 300 वायुमंडल दाब पर एक अत्यन्त ज्वलनशील गैस के साथ ऐसी संभावना से दूर रहने मे ही भलाई है। टैंक की भीतरी दीवार पर हाइड्रोजन के प्रति कम संबेदनशील पदार्थ का लेप हितकर हो सकता है, परन्तु एक सीमित स्तर तक, अत: हाइड्रोजन सिलेंडरों को लम्बे समय तक निरापद रूप से प्रयोग नही किया जा सकता तथा इनका जीवनकाल बहुत कम होता है।
- कुछ वाहन निर्माता हाइड्रोजन को विशेष प्रकार से “दीवार” मे द्रवीभूत अवस्था मे भन्डारण के लिये प्रयासरत हैं, परन्तु इस प्रक्रिया मे हाइड्रोजन की लगभग 40% ऊर्जा खर्च हो जाती है, तथा यह बहुत मँह्गी प्रक्रिया है। तथा यह काफ़ी मुश्किल भी है क्योंकि दीवार मे धीरे-धीरे वायुमंडलीय ताप प्रवेश कर जाता है तथा इसका ताप बढ जाता है। अत: द्रव हाइड्रोजन का अंतरिक्ष यानो के अलावाँ उपयोग अप्रायोगिक तथा अप्रासंगिक है।
इन्ही सब कारणों से हाइड्रोजन के लिये एक उपर्युक्त वाहक आवश्यक है।
“आग” के हाइड्रोजन की अपेक्षा लाभ/सहूलियत
- “आग” के साथ भन्डारण तथा परिवहन से सम्बन्धित कोई समस्या नही है। इसके लिये बहुत मजबूत तथा भारी सिलेंडर की आवश्यकता नही है, यह सामान्य ताप पर लगभग आठ वायुमंडल दाब पर द्रवित हो जाती है। तथा यह हाइड्रोजन की भांति टैंक की दीवारों को भी नही भेदती है, इसकी तुलना एल पी जी से की जा सकती है। इसका भन्डारण हम सस्ते व भरोसेमंद सिलेंडरो मे कर सकते हैं।
- इसके साथ अंतर्दहन इंजन की ईंधन किफ़ायत अन्य किसी भी ईंधन की अपेक्षा बहुत अधिक है।
- एक किलोग्राम हाइड्रोजन से 5.66 किलोग्राम अमोनिया बनती है, अत: हाइड्रोजन की 121 मेगा जूल ऊर्जा अमोनिया की 117 मेगा जूल उर्जा मे परिवर्तित हो जाती है जिसका भंडारण व परिवहन बहुत आसान है।
- “आग” को अन्तर्दहन इंजनो मे सीधे प्रयोग किया जा सकता है अतः हम इसके द्वारा बर्तमान तकनीको मे बिना किसी आमूल चूल परिवर्तन के एक प्रदूषणमुक्त ऊर्जा चक्र को अपनाया जा सकता हैं। इसके लिये नये इंजन भी बनाये जा सकते हैं, तथा बर्तमान इंजनो को भी इसके लिए आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है।
- सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि यह जीवाश्म ईंधनो या बायो डीजल/ पेट्रोल की अपेक्षा काफ़ी सस्ता है, अतः इसके प्रयोग से परिचालन लागत काफ़ी कम आती है।
“आग” से संभावित खतरे
- यह सामन्य परिस्थितियों मे अज्वलनशील गैस है अतः लीक होने पर आग नही पकड़ सकती है।
- अमोनिया एक तीव्र दुर्गन्ध वाली गैस है अतः इसका जरा भी लीक होना आसानी से पता लग जाता है, लेकिन बडे पैमाने पर लीक स्वास्थ्य के लिये खतरनाक हो सकता है। इसका 5 पी पी एम सांद्रता पर हमे घ्राणेन्द्रियों द्वारा पता चल जाता है तथा 5,000 पी पी एम (0.5%) स्वास्थ्य के लिये हानि कारक हो सकता है, तथा 10,000 पी पी एम खतरनाक हो सकता है।
- यह एक विषैली गैस है जो सूंघने पर हानि कारक है तथा उच्च सांद्रता पर नम त्वचा पर जलन उत्पन्न करती है।
- परन्तु यह कोई बहुत बडी बात नही है, हम परेशानी मे तब पडते हैं जब किसी बस्तु बिषेश से हम परिचित नही होते तथा उसके गुण दोषों का हमको ज्ञान नही होता। परन्तु जब हम इससे भली भाँति परिचित हैं तो संभावित खतरों से बचते हुये इसका लाभकारी उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं।
- हम 5000 पी एस आई पर अत्यन्त ज्वलन्शील गैस हाइड्रोजन भन्डारण करते हैं, 3000 पी एस आई पर सी एन जी भन्डारण करते हैं तथा 250 पी एस आई पर एल पी जी भन्डारण करते है तथा इसको सफ़लता पूर्वक सम्पादित कर रहे हैं। तो हम 150 पी एस आई पर “आग” का भी सफ़लता पूर्वक तथा निरापद रूप से भंडारण तथा उपयोग सुनिश्चित कर सकते है। और कर क्या सकते हैं पहले ही लगभग 80 सालों से उर्वरक तथा प्रशीतन उद्योगो मे कर ही रहे हैं।
- यदि एल पी जी, सी एन जी विषैली नही है तो अमोनिया समान्य वातावरण मे ज्वलनशील भी नही है, तथा इसके सिलेन्डर के फ़टने का खतरा न के बराबर है।
- प्रदूषणमुक्त, ज़ीरो उत्सर्जन “हाइड्रोजन इकोनोमी” कभी भी फ़्री मे नही प्राप्त की जा सकेगी, अमोनिया से हम अच्छी तरह परिचित हैं तथा इसके गुण दोष भली भाँति ज्ञात हैं, अतः हम इसका लाभकारी उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं।